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Wednesday 25 May 2016

Sachhe Mitra

                  Sachhe   Mitra

      पुराने समय की बात हैl एक आश्रम में शिष्यों की किताबी शिक्षा पुर्ण हो चुकी थीl जब सारे शिष्य एक कमरे में इकट्ठे हुए तो गुरूजी ने कुछ व्यावहारिक ज्ञान की बातें शुरू की l  गुरूजी ने सभी शिष्यों को 3-3 मिट्टी की मुर्तियां दी और कहा इनमे अंतर पहचानो .  तीनो शक्लो - सूरत में हुबहू एक जैसी थी .जब कोई भी सहीसही उत्तर नही ढूढ पाया तो गुरूजी ने एक शिष्य को पास बुलाया और उसे तांबे की एक तार देकर कहा इसे पहली मुर्ति  के कान में डालो . जब शिष्य ने तार डाली तो वो उसके दूसरे कान से बाहर निकल गयी.  जब तार दूसरी मूर्ति  के कान मे डाली तो वो उसके मुह से बाहर आ गयी. तीसरी मूर्ति के कान मे तार डालने पर ना वो उसके दूसरे कान से निकली नाही मुंह से.     वो सीधा उसके पेट मे चली गयी .

        कुछ समझे  ?  गुरूजी ने पुछा  ? एक मुर्ति  के कान में कुछ भी डालो वो दूसरे कान से सब बाहर निकाल देती है  .कुछ सुनती ही नही है     अचछा ! ठीक कुछ और  . दुस्री से कुछ भी कहो सब बक देती है दूसरा शिष्य बोला . बिल्कुल ठीक ! कुछ और ,  तीस्री मूर्ति गूंगी और बहरी है एक और शिष्य बोला  ,

       अब गुरूजी ने बोलना शुरू किया  , ये तीन मुर्तियां  हमारे चारो तरफ़ रहने वाले लोगों की प्रतिक है    कुछ लोग ऐसे होते है जिनसे तुम कितना भी कहो कुछ भी कहो ये तुम्हारी बातों को एक कान से सुनेंगे और दूसरे  कान से बाहर निकाल देंगे  ये दुष्ट प्रव्रुति के लोग हो सकते हैं इनसे बचकर रहना. कभी भी अपना समय और उर्जा इन व्यर्थ के लोगों पर खरच मत करना  ..     दूसरे वे लोग हैं जिन्हें तुम कोई भी महत्वपूर्ण या गुप्त बात बताओ  ये उसे जाकर दूसरो को बता देंगे . ये निरे मूर्ख हैं इन्हे किसी की भावनाओ की कोई कद्रा नही इनसे विशेश रूप से बचकर रहना ये तुम्हारे आसपास तुम्हारे मित्र, पडोसी, या रिश्तेदारो के रूप में मौजूद हो सकते हैं  इन्हे कभी कोई राज की बात मत बताना     कुछ   क्षण रुकने के बाद  गुरूजी ने फिर बोलना शुरू किया  तीसरी मूर्ति गुणवान लोगो की प्रतीक है , ये तुम्हारी बातो को सुनेंगे  और उसे अपने पास ही रखेंगे . तुम इनसे अपने मन की बातें सांझा कर सकते हो ये विश्वासपात्र लोग हैं यही तुम्हारे सचचे मित्र है .

इसी प्रकार हमे भी अपने चारों तरफ़ ढेर सारे लोग मिलेंगे इनमे हमे अपने सचचे मित्रों को ढूढना है   .

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