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Wednesday 25 May 2016

Swami Vivekananda Ji ki Vilakshan Ekagrata ( In Hindi )

  एक बार स्वामी विवेकानंद मेरठ गये हुए थे. स्वामी जी को किताबें पड़ने का बहुत शौक था, इस्लिये वो वहां के पुस्तकालय से किताबें मंगवाते थे.एक दो दिन पड़ने के बाद किताबे वापस भेज देते थे.एक दिन वहां के ग्रंथपाल(Librarian) ने स्वामी जी के शिष्य से कहा की स्वामी जी किताबे पड़ते भी है या केवल पन्ने पलट ते रहते हैं.जब शिष्य ने ये बात स्वामी जी को बताई तो स्वामी जी मुसकुराये और बोले कल मै स्वयं ग्रंथपाल से बात करुंगा. दूसरे दिन स्वामी जी ग्रंथालय गये और ग्रंथपाल से कहा मैने मंगवाइ हुइ सारी किताबे पढ ली हैं यदी आपको कोई शंका है तो आप मुझसे प्रश्न पूछ सकते हैं . ग्रंथपाल तो वैसे ही क्रोधित था उसने स्वामी जी से काफ़ी प्रश्न पूछे.  स्वामी जी ने ना केवल सही उत्तर दिया बल्की उन प्रश्नो की प्रुश्ठा संख्या भी बता दी .  ग्रंथपाल ने उनके चरणो मे गिर्कर माफ़ी मांगी और इस अदभुत स्मरणशक्ती का रहस्य पूछा?    स्वामी जी ने उत्तर दिया पढने के लिये सबसे जरुरी है एकाग्रता और एकाग्रता के लिये जरुरी है   -ध्यान

ये कहानी ध्यान के महत्व को स्पष्ट करती है  .

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